बिसर गई सब तात पराई नानक
हम बारिक (बेटा) पिता प्रभु दाता॥
गुरु प्रीत प्यारे नानक
काहे रे बन खोजन जाई नानक
आयो सुनन पढ़न को बाणी
मेरा बैद गुर गोबिन्दा
साजन तेरे चरणन की
सतगुरु मैं तेरी पतंग नानक
कोई आन मिलावै मेरा प्रीतम प्यारा
अपने सेवक की आपै राखै नानक
बिषय बाच हर राच समझ मन बौरा।
राख लेहो हम ते बिगरी॥
ऐसे गुर को बल बल जाइए नानक
प्रभूजी तू मेरे प्राण अधारे नानक
ऐसी माँग गोबिन्द ते नानक
होली कीनी सन्त सेव नानक
गुरुजी के दरसन को बल जाऊँ।
ठाकुर तुम शरणाई आया नानक
राखा एक हमारा स्वामी
गुरु खिन खिन प्रीत लगावो मेरै हीअरै,
सुण ना पिआरे इक बिनंती मेरी।
मेरी अबे बिनती सुन नानक
कोऊ है मेरो साजन मीत नानक
मन प्रीत चरण कमलारे।
आओ सजणा हौं देखा
मेरे लाल जिओ तेरा अंत न जाणा।
काहे रे बन खोजन जाई नानक
पूजो राम एक ही देवा नानक
भूले मार्ग जिनें बताया नानक
साँवल सुन्दर रामईआ, मेरा मन लागा तोहे॥
जाग सलोनड़ीए! बोलै गुरबानी राम
कोई आवे संतो हरि का जन संतो
ऐसी किरपा मोहे करो नानक
नहीं छोडूँ रे! बाबा राम नाम
इस मन को बसन्त की लगे न सोए
दुःखभंजन तेरा नाम जी
प्रीतम के देस कैसे बातन से जाइए
मन क्यों बैराग.. सद्गरु मेरा पूरा नानक
काहे रे बन खोजन जाई नानक
अरदास करी प्रभु अपने आग नानके
गायो री मैं गुणनिधि मंगल नानक
बिनत करो अरदास सुनो
मन रे कौन कुमति ते लीन्ही नानक
जैसा सद्गुरु सुणीदा नानक
सद्गुरु आयो सरन तिहारी
रे मन ऐसो कर संन्यासा नानक
साँच कहूँ सुन लेहो सबै नानक
मेरे राम एह नीच करम नानक
जे गुर झिड़के त मीठा लागै नानक
गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिन्द नानक
पर का बुरा न राखो चीत नानक
हर को नाम सदा सुखदाई नानक
ऐसी प्रीत करो मन मेरे नानक
तुम करो दया मेरे सांई नानक
तेरी भगत न छोडूँ नामदेव गुरबानी
अरदास सुनो अरदास नानक
दरसन देख जीवां गुर तेरा नानक
राम जना को राम भरोसा नानक
जिउ सुपना अरु देखना नानक
तू प्रभ दाता दान मत पूरा नानक
ऐसा ज्ञान जपो मन मेरे।
अब हम चली ठाकुर पै हार नानक
सन्तन पै आप उधारन आयो नानक
हरि जस रे मना गाई ल
माँगू राम ते इक दान नानक
मैं बन्दा बेखरीद सच साहिब नानक
कोई जन हरि सूँ देवे जोड़ नानक
हम चाकर गोबिन्द के नानक
ब्रह्मज्ञानी सद जीवे नहीं मरता नानक
मेरे मन हर हर गुन कहो रे नानक
जो मांगे ठाकुर अपने ते नानक
गुरु पूरे मेरी राख लई नानक
साधो रचना राम बनाई नानक
तू ठाकुर तुम पे अरदास नानक
जो नर दुःख में दुःख नहीं माने नानक
जो नर दुःख में दुःख नहीं माने।
दौलत जहां की मुझको तू मेरे ख़ुदा ना दे।
जो नर दुःख में दुःख नहीं माने।
मैं तुमरी करो नित आस
शरणी आयो नाथ निधान
विघ्न ना कोऊ लागता
प्राणी क्या मेरा क्या तेरा
गुरु के चरण ऊपर मेरे माथे।
तू जानत मैं कछु नहीं, भव खण्डन राम।
कित विध मिले मेरा सद्गुरु प्यारा।
प्रभ! डोरी हाथ तुम्हारे,
गुरु पूरा मिलावे मेरा प्रीतम।
सद्गुरु मूरत को बल जाऊँ।
पोथी परमेसर का थान
जीवत पितर न मानै कोऊ
हे प्राणनाथ गोबिन्दे कृपानिधान जगद्गुरो!!
राम राम बोल राम राम।
प्रीतम जान लेहो मन माहीं
खाणा पीणा हँसणा सोणा
सूरज किरण मिले जल का जल हुआ राम।
मिल मेरे प्रीतमा जिओ
मिल मेरे गोबिंद अपना नाम देओ।
काठ की पुतरी काह करै बपुरी
गुरु गुरु गुरु कर मन मोर।
माई! चरन गुरु मीठे।
साधो! गोविन्द के गुण गाओ
माई! मैं धन पायो हरि नाम॥
माधो! साधुजन देओ मिलाई।
साधो! इह तन मिथिआ जानो॥
कहउँ कहाँ अपनी अधमाई॥
करो जतन सखी सांई मिलन की॥
कौन जाने गुण तेरे
सद्गुरु की सेवा सफल है
मेरा प्यारा प्रीतम सद्गुरु रखवाला।
अब जन ऊपर कौ न पुकारै
हे गोविन्द! हे गोपाल! हे दयाल लाल!
हौं वार वार जाऊँ गुर गोपाल॥
साधो! कौन जुगत अब कीजै।
अब मैं कौन उपाय करूँ।
साधो! इह जग भर्म भुलाना॥
बल बल जाऊँ श्याम सुन्दर को।
कोई बोले राम राम कोई खुदाये।
जग रचना सब झूठ है, जान लेहुँ रे मीत।
रसना जपती तुही तुही॥
मेहरबान साहिब मेहरबान।
तुम हो सब राजन के राजा
सन्त शरण जो जन परै
ज्ञान अञ्जन गुरु दिया।
गुरु मेरे संग सदा है नाले।
गुरु के चरन जी का निस्तारा।
आज हमारे गृह बसन्त
रे मन ओट लेहो हर नामा।
मोको तू ना बिसार, तू ना बिसार।
मैं बौरी मेरा राम भरतार।
इस मन को कोई खोजो भाई।
जो जो दीसै, सो सो रोगी।
माई गुर चरणन चित्त लाइए।
भजो गोबिन्द भूल मत जाओ।
कैसी आरती होई भवखंडना तेरी आरती॥
हिरदै नाम वसाइयो
मैं नाहीं प्रभ सब कुछ तेरा।
मेरा मन साधजनां मिल हरिया।
कौन मुआ रे! कौन मुआ।
रे मन ओट लेहो हर नामा।
राम सुमिर राम सुमिर
सुमिरन कर ले मेरे मना
सद्गुरु मेरा सदा दयाला
ऐसा ज्ञान विचारे कोई गुरबानी
सब गोबिन्द है नामदेव गुरबानी
सबै घट राम बोले नामदेव गुरबानी
जो नर दुःख में दुःख नहीं माने।
प्रभु मेरे प्रीतम प्रान पियारे।
जो नर दुःख में दुःख नहीं माने।
हर प्रभ मेरे बाबुला