🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Sab Gobind Hai Gurbaani lyrics
नामदेव भजन Namdev Shabad
सब गोबिन्द है, सब गोबिन्द है।
गोबिंद बिन नही कोई।
सब गोविन्दरूप है। गोविन्द ही सब कुछ है। गोविन्द के सिवाय कहीं कुछ नहीं है।
एक अनेक व्यापक पूरण,
जित देखूँ तत सोई।
माया चित्र बिचित्र बिमोहित,
बिरला बूझै कोई॥
वह एक ही अनेक के रूप में भासता है, वही सर्वत्र व्यापक और परिपूर्ण हैं; जहाँ भी मैं देखता हूँ, वहीं वह है। माया की मोहिनी छवि इतनी विचित्र है कि कोई बिरले ही जन इस सत्य को समझ पाते हैं।
सूत एक मण सत सहस जैसे।
ओतप्रोत प्रभु सोई॥
जैसे एक धागे में सैकड़ों और हजारों मोती होते हैं, वैसे ही सारे शरीरों वही प्रभु व्याप्त है।
जल तरंग अरु फेन बुदबुदा,
जल ते भिन्न न होई।
इह प्रपंच पारब्रह्म की लीला,
बिचरत आन न होई॥
जैसे पानी की लहरें, झाग और बुलबुले, पानी से अलग नहीं हैं। वैसे ही यह संसार परब्रह्म की लीला है अर्थात् उसी का विवर्त रूप है; इस पर विचार करने पर हम पाते हैं कि यह संसार उससे भिन्न कोई सत्ता नहीं है।
मिथ्या भर्म अरु सुपन मनोरथ,
सत पदार्थ जानिआ।
सुकृत मनसा गुर उपदेसी,
जागत ही मन मानिआ॥
मिथ्या संदेह और स्वप्न की वस्तुएँ, जिन्हें मनुष्य सत्य मानता है। पूर्वपुण्यों के परिपाक, सद्गुरु उपदेश से मेैं अज्ञान रूप नींद से जाग गया हूँ।
कहत 'नामदेव' हर की रचना,
देखो हिरदे बिचारी।
घट घट अन्तर सरब निरन्तर,
केवल एक मुरारी॥
नामदेव कहते हैं, हरि की रचना को देखो, और अपने हृदय में उस पर विचार करो। प्रत्येक हृदय में और सबके मूल में एक ही मुरारी है।
🚩जय श्री गुरु महाराज जी की 🙏🏻
🎙️ मनिंदर सिंह Maninder Singh
🎙️ मनप्रीत सिंह Manpreet Singh