🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍
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Poojo Ram Ek Hi Deva🥀
Nanak Shabad Gurbani
पूजो राम एक ही देवा।
साँचा नहावण गुर की सेवा॥
सद्गुरु के बताये मार्ग पर चलना ही असल (तीर्थ) स्नान है। सो, एक परमात्मा देव का भजन करो।
अन्तर मैल जे तीरथ नहावै,
तिस बैकुंठ न जाना।
लोक पतीणे कछू न होवै,
नाहीं राम अयाना॥
अगर मन विकारों की गंदगी से भरा रहे और कोई मनुष्य तीर्थों पर नहाता फिरे, तो इस तरह उसने स्वर्ग में नहीं जाने वाला है; (तीर्थों पर नहाने से लोग तो कहने लग जायेंगे कि ये भगत है, पर लोगों के पतीजने (दिखाने) से कोई लाभ नहीं, क्योंकि जो हरेक के दिल की जानता है, उस प्रभु से कोई अंजान नहीं है।
जल कै मज्जन जे गति होवै,
नित नित मेंढक नहावै।
जैसे मेंढक तैसे ओइ नर,
फिरि फिरि जोनी आवै॥
पानी में डुबकियाँ लगाने से अगर मुक्ति मिल सकती तो मेंढक सदा ही नहाते हैं। जैसे वह मेंढक हैं वैसे वे मनुष्य समझो; वो फिर फिरकर चौरासी में चक्कर लगाता रहता है।
मनहु कठोर मरै बनारस,
नरक न बांचिआ जाई।
हरि का सन्त मरै हाड़मबै,
त सगली सैन(मंडली)तराई॥
अगर मनुष्य काशी में शरीर त्यागे, पर मन में कुटिल कठोर हो, तो इस तरह उसका नर्क (में जाना) छूट नहीं सकता। (दूसरी तरफ) परमात्मा का भगत शापित भूमि (हाड़-माँस वाली जगह में भी अगर जा मरे, तो वह स्वयं और सारे लोगों को भी पार लंघा लेता है।
दिन सु न रैन वेद नहि शास्त्र,
तहाँ बसै निरंकारा।
कहे कबीर नर तिसहि ध्यावहुँ,
बावरिया संसारा॥
कबीर कहते है– हे लोगो! उस परमात्मा को ही सिमरो। वह वहाँ बसता है जहाँ दिन और रात नहीं, जहाँ वेद नहीं, जहाँ शास्त्र नहीं (भाव, वह प्रभु उस आत्मिक अवस्था में पहुँच के मिलता है, जो आत्मिक अवस्था किसी खास समय की मोहताज नहीं, किसी खास धर्म-पुस्तक की मोहताज नहीं।)
🚩जय श्री गुरु महाराज जी की 🙏🏻
🎙️ सतविंदर सिंह Satwinder Singh