🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌏🫂
Jeevat Pitar Na Maane Kou Shabad
नानक गुरबानी Nanak Gurbaani lyrics
जीवत पितर न मानै कोऊ,
मुए श्राद्ध कराई।
पितर भी बपुरे कहो क्यों पावे,
कौआ कूकर खाई॥
लोग जीवित माता-पिता का तो आदर-मान नहीं करते, पर मर गये पितरों के निमित्त भोजन खिलाते हैं। बेचारे पितर भला वह श्राद्धों का भोजन कैसे हासिल करें? उसे तो कौए-कुत्ते खा जाते हैं।
मोको कुसल बतावो कोई,
कुसल कुसल करते जग बिनसै।
कुसल भी कैसे होई॥
मुझे कोई बताए कि (पितरों के निमित्त श्राद्ध खिलाने से पीछे घर में) कुशल-मंगल कैसे हो जाता है? सारा संसार (इसी वहम्-भ्रम में) खप रहा है कि (पितरों के निमित्त श्राद्ध करने से घर में) सुख-आनन्द बना रहता है।
माटी के कर देवी देवा,
तिस आगै जिओ देई।
ऐसे पितर तुम्हारे कहिए,
आपन कहिआ न लेई॥
मिट्टी के देवी-देवते बना के लोग उस देवी या देवते के आगे बकरे आदि की कुर्बानी देते हैं, हे भाई! इस तरह के मिट्टी के बनाए हुए तुम्हारे पितर कहलाते हैं, उनके आगे भी जो तुम्हारा चित्त करता है, रख देते हो, वे अपना मुंहमांगा कुछ नहीं ले सकते।
सरजीव काटै निर्जीवो पूजै,
अंतकाल को भारी।
राम नाम की गति नहीं जानी,
भय डूबे संसारी॥
लोग लोकाचार की रस्मों में बेड़ाग़र्क हो रहे हैं, जीते जी मूक पशुओं को देवी-देवताओं के आगे भेंटा करने के लिए मारते हैं और इस तरह मिट्टी आदि के बनाए हुए निर्जीव देवताओं को पूजते हैं। अपना भविष्य बर्बाद किए जा रहे हैं ऐसे लोगों को उस आध्यात्मिकता की समझ नहीं पड़ती जो प्रभु का नाम स्मरण करने से बनती है।
देवी देवा पूजे डोले,
पारब्रह्म नही जाना।
कहे कबीर अकुल नही चेतिया,
बिषय स्यों लपटाना॥
कबीर कहता है: ऐसे लोग मिट्टी के बनाए हुए देवी-देवताओं को पूजते हैं और सहमें भी रहते हैं, क्योंकि असल ‘कुशल’ देने वाले अकाल-पुरुष परमात्मा को वे जानते ही नहीं हैं, वे जाति-कुल रहित प्रभु को नहीं स्मरण करते, वे सदा माया के साथ लिपटे रहते हैं।
🚩निरंजनी अद्वैत सेवा संस्थान, भाँवती🥀
🎙️गुरकीरत सिंह Gurkeerat Singh