🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Khaana Peena Hasna Sona Nanak
नानक गुरबानी Gurbaani lyrics
खाणा पीणा हँसणा सोणा,
बिसर गया है मरणा।
खसम बिसार खुआरी कीनी,
धिक् जीवण नहीं रहणा॥
सिर्फ खाने पीने हँसने सोने में रहने से यह जीव मौत भूल जाता है। परमपति परमात्मा को विस्मृतकर जीव वह वह काम करता रहता हैं, जो इसकी ख्वारी (दुःख) का कारण बनते हैं। प्रभु को भूलकर जीना धिक्कार-योग्य है।
प्राणी एको नाम ध्यावो,
अपनी पत सेती घर जाओ॥
हे प्राणी! एक परमेश्वर के नाम का ध्यान करो और (सिमरन की बरकत से) तू प्रतिष्ठा सहित प्रभु के चरणों में पहुँचेगा।
तुधनो सेवे तुझे क्या देवे,
माँगे लेवे रहहि नहीं।
तू दाता जीआ सबन का,
जीआ अंदर जीउ तुही॥
हे प्रभु! जो लोग तुझे सिमरते हैं (तेरा तो कुछ नहीं सँवारते, क्योंकि) तुझे वे कुछ भी नहीं दे सकते (बल्कि तुझसे) माँगते ही माँगते हैं। तेरे दर से माँगे बिना नहीं रह सकते। तू सारे जीवों को दान देने वाला है। हे जीवनदाता! तू प्राणों का भी प्राण है।
गुरमुख ध्यावै सो अमृत पावै,
सोई सूचे होही।
अहनिस नाम जपो रे प्राणी!,
मैले अछे होही॥
जो लोग गुरु के सानिध्य में प्रभु-ध्यान में रत रहते हैं, वे अमृतत्व प्राप्त करते हैं। वे ही सूचे अर्थात् पवित्र होते हैं। हे प्राणी! दिन-रात परमात्मा का नाम अजपा जाप जपो। बुरे लोग भी (नाम-जप) से अच्छे बन जाते हैं।
जेही रुत काया सुख तेहा,
तेहो जेही देही।
'नानक' रुत सुहावी सांई,
बिन नावै रुत केही॥
(मानवीय जीवन के लिए दो ही ऋतुएँ हैं- सिमरन और नाम-हीनता। इनमें से जिस ऋतु के प्रभाव तले मनुष्य जीवन गुजारता है। शरीर को वैसा ही सुख अथवा दुःख मिला है। उसी प्रभाव के मुताबिक ही इसका शरीर ढलता रहता है। हे नानक! वही ऋतु अच्छी है (जब ये नाम सिमरता है)। नाम सिमरन के बिना कोई भी ऋतु इसको लाभ नहीं दे सकती।
जयश्री गुरु महाराज जी की🙏🏻
🎙️ जसप्रीत सिंह Jaspreet Singh