🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Saanch Kahu Sun Leho Sabai Nanak
नानक सबद गुरबानी Shabad Gurbaani
साँच कहूँ सुन लेहो सबै।
जिन प्रेम कियो तिनही प्रभ पायो॥
गुरु कहते हैं – सत्य कहता हूँ इस बात को अच्छी तरह सुन लो कि प्रेम बिना प्रभु से मिलन नही हो सकता!
कहाँ भयो जो दोऊ लोचन मूंदके।
बैठ रह्यो बक ध्यान लगायो॥
क्या हो गया यदि तू दोनों आँखे बंद कर बैठ गया और बगुले के समान समाधि लगाकर बैठा हो!
नहात फिरयो लिये सात समुन्दर।
लोक गयो परलोक गंवायो॥
तीर्थों में, नदियों में नहाने की बात तो छोड़ो, क्योंकि सभी नदियाँ समुद्रों में चली जाती है, चाहे तू सातों समुद्रों में ही क्यों न नहा लिया हो फिर भी इससे कोई फर्क नहीं पड़ता इससे कुछ प्राप्ति नहीं है, बल्कि लोक परलोक दोनों और गँवा बैठता हैं।
बास कियो बखियान सो बैठके।
ऐसे ही ऐसे सु बैस बितायो॥
ऊँचे-ऊँचे आसनों पर बैठकर माया की बातें करता रहा और ऐसे ही सारी जिन्दगी बिता दी।
अंतर मैल जे तीरथ नहावै,
तिस बैकुंठ न जाना।
लोक पतिणे कछु न होवे,
नाही राम अयाना॥
अंतर में मैल है तो तीर्थ नहाने से क्या फायदा? नहाने से कोई बैकुंठ में नहीं जाता। लोक दिखावे से कुछ नहीं होता। संसार को रीझाने से नहीं रामजी नहीं मिलेंगे।
पूजो राम एक ही देवा।
साँचा नहावण गुर की सेवा॥
हम एक ही इष्ट सेवा-पूजा करें। सद्गुरु की सेवा ही सच्चा नहावण (स्नान) है।
"एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय।
‘रहिमन’ मूलहि सींचिबो, फूलहि फलहि अघाय॥"
जल के मंजन जे गति होवे,
नित नित मेंढक नहावै।
जैसे मेंढक तैसे ओये नर,
फिर फिर जोनि आवै॥
जल में नहाने से यदि मुक्ति होती तो मेंढक तो रोज ही कूद-कूदकर नहाता है। जिस प्रकार में नहाने से मेंढक की गति नहीं होती, उसी प्रकार अरे मनुज! जल में नहाने से तो योनियों में आने-जाने का चक्कर लगा ही रहेगा। झूठे पाखंडियों ने आडंबर पैदा किया जबकि प्रभु प्रेम से जुड़ना था, लेकिन इन्होने लोगों को अपने स्वार्थ के लिए अपने से जोड़ लिया। बाहर किसी से जुड़ने से प्रभु नहीं मिलता अपनी अंतरात्मा से प्रेम करने से ही प्रभु मिलता है।
🚩श्री निरंजनी अद्वैत आश्रम भाँवती🙏🏻
🎙️ संदीप सिंह Sandeep Singh
राग ललित Raag Lalit
🎙️ सतविंदर सिंह Satwinder Singh