अरे बाप रे बाप।
ऐसे राम निरंजन राया जन हरिराम
कौनसे मन्दिर जाऊँ सखी मानसिंह
साधो ज्ञान घटा झुक आया बनानाथ
अगम निगम निराला गणपति हीरानंद जी
कहनी के बहुत मजूर दास सतार
चालो सन्तो निज आतम घर देस मानसिंह
जो आशिक़ मस्त फ़कीरी के लालदास
अजब अनादि निगम रास्ता हीरानंद जी
बिन सत्संग कुमति न छूटी विवेक
साधो अविगत लख्यो न जाई बनानाथ
मैं तो तेरा दास प्रभु परमानंद
ज्ञानी करता घट में पूजा दास सतार
गुरु दाता म्हारी या अरजी सुन लीजै कल्याण भारती
चल हंसा उन देश, समंद जहाँ मोती भवानीनाथ
हम पूरबला पंछी सन्तो हीरानंद जी
मुझे मेरी मस्ती कहाँ लेके आयी स्वामी रामतीर्थ
आप गुरु मोहे त्यारोला हीरानंद जी
हरि म्हारी अरजी सुन लीजै कल्याण भारती
निद्रा बेच दूँ कोइ ले तो भर्तृहरि
सैयां सद्गुरु भल आया ये मानसिंह
जाप अजपा जपो गायत्री गुणदास
धन गुरु हमें तुम्हारी आसा कल्याण भारती
सुन उधो लागे संत पियारा हो परमानंद