🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Nahi Chhodu Re Baaba Ram Nam
नानक गुरबानी Nanak Gurbaani
नहीं छोडूँ रे! बाबा राम नाम।
मेरो और पढ़न सो नहीं काम॥
हे बाबा! मैं राम नाम का जाप हरगिज नहीं छोडूंगा और मेरी कुछ अन्य पाठ-पठन की कोई इच्छा नहीं।
प्रहलाद पठाए पढ़नसाल,
संग सखा बहु लिए बाल।
मोको काह पढ़ावस आल जाल,
मेरी पटीआ लिख देहुँ श्रीगोपाल॥
जब प्रहलाद को पढ़ने के लिए पाठशाला में भेज दिया गया तो वहाँ उसने बहुत सारे बच्चों को अपना साथी बनाकर प्रभु भजन में लगा लिया। एक दिन उसने अपने अध्यापकों से कहा कि प्रभु के अतिरिक्त आप मुझे क्यों गलत पढ़ा रहे हो। आपसे निवेदन है कि मेरी तख्ती पर श्री गोपाल प्रभु लिख दो।
संडै अमरकै कहिओ जाई,
प्रहलाद बुलाए बेगि धाई।
तू राम कहन की छोड़ बान,
तुध तुरत छुड़ाऊँ मेरो कहिओ मान॥
तदन्तर प्रहलाद के अध्यापकों शण्ड एवं अमरक ने राजा हिरण्यकशिपु को जाकर शिकायत की तो उसने शीघ्र ही प्रहलाद को बुला लिया और कहा तू राम नाम जपने की आदत छोड़ दे, मेरा कहना मान ले, मैं तुझे तुरंत छोड़ दूँगा।
मोको काह सतावो बार बार,
प्रभु जल थल गिरि कीए पहार।
इक राम ना छोडूँ गुरहि गार,
मोको घाल जार भावै मार डार॥
प्रहलाद ने प्रत्युत्तर दिया कि आप मुझे बार-बार क्यों तंग कर रहे हो? समुद्र, पृथ्वी, पर्वत एवं पहाड़ (सम्पूर्ण जगत) प्रभु ने बनाए हुए हैं। मैं राम नाम का जाप किसी भी कीमत पर छोड़ नहीं सकता, ऐसा करना तो मेरे लिए गुरु के प्रति गाली देने के बराबर है। आप चाहे मुझे जिंदा जला दो या भले ही मुझे मार डालो।
काढ खड्ग कोपिओ रिसाई,
तुध राखनहारो मोहि बताई।
प्रभ थंभ ते निकसे के विस्तार,
हिरनाखसु छेदियो नख बिदार॥
यह सुनकर हिरण्यकशिपु ने खीझ के क्रोध में तलवार निकाल ली और कहा मुझे बताओ कौन तेरी रक्षा करने वाला है? तब भयानक नृसिंहरूप धारण कर प्रभु खंभे से निकल आये और दुष्ट हिरण्यकशिपु को अपने नाखुनों से चीरकर खत्म कर दिया।
ओइ! परम पुरख देवाधिदेव,
भगत हेत नरसिंह भेव।
कह 'कबीर' को लखै न पार,
प्रहलाद उधारे अनेक बार॥
कबीर जी कहते हैं कि उस उस परमपुरुष देवाधिदेव ने अपने भक्त की भक्ति से प्रसन्न होकर नृसिंह रूप धारण किया। प्रभु की महिमा अपरम्पार है; उस प्रभु ने अनेक बार अपने भक्त प्रहलाद की संकट के समय रक्षा की।
🚩जय श्री गुरु महाराज जी की🙏🏻
🎙️ मनिंदर सिंह Maninder Singh
राग बसन्त Raag Basant
🎙️ हरजिंदर सिंह Harjinder Singh