वाहे गुरु वाहे गुरु वाहे गुरु🙏🏻
पूरा प्रभ आराधिया, पूरा जाका नाऊँ।
'नानक' पूरा पाइया, पूरे के गुण गाऊँ॥
Bisar Gayi Sab Taat Paraayi
Nanak Shabad Gurbaani
बिसर गई सब तात पराई।
जब ते साध संगत मोहे पाई॥
गुरु अर्जुनदेव कह रहे हैं कि हे भाई! जबसे मुझे साध -संगत (सत्संग)मिली है, तबसे दूसरों के सुख देखकर अंदर व्यथित होने की आदत भूल गया हूँ अर्थात् दूसरों के प्रति अपने हृदय में रहने वाली द्वेष-ईर्ष्या (जलन) को पूरी तरह से छोड़ दिया।
ना कोई बैरी नहीं बेगाना,
सगल संग हमको बन आई।
बिसर गई सब तात पराई॥
अब मेरा कोई दुश्मन नहीं है और नहीं कोई मेरे लिए पराया है। अब मैं सभी के साथ प्रसन्न रहता हूँ। सभी दुश्मनी के भावों को भूल चूका हूँ।
जो प्रभु कीनो सो भल मान्यो,
एह सुमत साधु ते पाई।
बिसर गई सब तात पराई॥
जो प्रभु ने किया है, वह सब अब मैं भला ही मानता हूँ। यह सुबुद्धि मुझे संतजन (सज्जनों) के सानिध्य से प्राप्त हुई है
सबमें रम रहिया प्रभु एकै,
पेख पेख 'नानक' बिगसाई।
बिसर गई सब तात पराई॥
सभी के हृदय में एक ही परमात्मा का वास है। उसी प्रभु को देख देखकर नानक हर्षित होते है।
गुरबानी नानक सबद