🕉️🎯👌🏻 श्री हरिपुरुषाय नमः 🌍🫂
राग द्वेष तें रहित हैं, रहित मान अपमान।
सुन्दर ऐसेै संतजन, सिरजे श्री भगवान॥
दरिया' सा सद्गुरु मिले, कोइ पूर्बला पुन्न।
जड पलट चेतन किया, प्राण मिलाया सुन्न॥
Ham Poorabla Panchhi Santo!
हम पूरबला पंछी सन्तो !
राग द्वेष में नाहीं।
राग द्वेष में लोग अज्ञानी,
अवगत दरसे नाहीं॥
अवगत जादू अजब तमासा,
जादू खेल रचाई।
छिन में बाग-बाग में अग्नि,
अग्नि में जल बरसाई॥
पग बिन पंथ मुखा बिन वाणी,
बिन नैना मार्ग पाई।
अनहद सुन्न में अवगत दरसे,
शून्य में सैन समाई॥
अगम निगम की गमता नाहीं
कवियों की कविता मांही।
शास्त्र पुराण वेद नहीं पूगे,
उन्हीं देश के मांही॥
दशोंइन्द्रिय के पार परमगुरु,
आठोंपहर कुदरत पाई।
'हीरानन्द' अवगत में बासा,
उलटी सूरत शून्य माही॥
🚩 जय श्री गुरु महाराज जी की 🙏🏻🥀