🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Vaishnav Jan To Tene Kahiye Narsi
वैष्णव जन तो तेने कहिये,
जे पीड़ परायी जाणे रे।
पर दुःखे उपकार करे तो ये,
मन अभिमान न आणे रे॥
उन लोगों को वैष्णव कहो, जो दूसरों की पीड़ा अनुभव करें। जो दुःखी हैं उनकी सहायता करें, लेकिन अपने मन में कभी भी अहंकार न आने दें॥
सकल लोकमां सहुने वंदे,
निंदा न करे केनी रे ।
वाच काछ मन निश्चल राखे,
धन धन जननी तेनी रे ॥
जो सभी का सम्मान करें, किसी की निंदा न करें। अपने वाणी, काया और मन को शुद्ध रखें, उनकी माता धन्य है॥
समदृष्टि ने तृष्णा त्यागी,
परस्त्री जेने मात रे।
जिह्वा थकी असत्य न बोले,
परधन नव झाले हाथ रे॥
जो सभी को समदृष्टि से देखें, तृष्णा का त्याग करें, पर-स्त्री को माँ जानें। जिनकी जीभ कभी मिथ्या वचन नहीं बोले,
जिनके हाथ कभी दूसरों के धन को नहीं छूते।
मोह माया व्यापे नहि जेने,
दृढ़ वैराग्य जेना मनमां रे।
रामनाम शु ताळी रे लागी,
सकळ तीरथ तेना तनमां रे॥
जो सांसारिक मोहों के आगे नहीं झुकते, जिन के मन में दृढ़ वैराग्य है। जो राम के नाम से मोहित हैं, सभी तीर्थ स्थान इन्हीं में समाए हुए हैं।
वणलोभी ने कपट रहित छे,
काम क्रोध निवार्या रे।
भणे नरसैयो तेनुं दरसन करतां,
कुळ एकोतेर तार्या रे॥
जिन्होंने लोभ और छल को छोड़ दिया है,
जो काम और क्रोध से दूर रहते हैं।
नरसी कहते हैं: मैं ऐसे भक्तों के दर्शन पाकर धन्य हो जाता हूँ। जिनके पुण्य से उनकी इकहत्तर पीढ़ी तर जाती है।
🎙️कौशिकी चक्रवर्ती Kaushiki Chakraborty
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