तू अगर हमकलाम हो जाये गजल
हमसे हुई कि आपसे ये बहस है फिजूल गजल
नज़र का अपनी नज़रिया गजल सदा
सब ज़ात सिफ़ात से हो निर्मल कव्वाली
दौलत जहाँ की मुझको तू ग़ज़ल
कैसे मिले खुदा से गजल
मत कह बुरा किसी को गजल
किसी के काम जो आये उसे इंसान गजल
चलो कि हम भी जमाने के साथ ग़जल
बना बनाके तू करता है क्यूँ फ़ना गजल
दुनिया जिसे कहते हैं, जादू का ग़ज़ल
जब अपने ही घर में खुदाई हो गजल
कैसा तुम्हारा क़रम है आक़ा कव्वाली
डरते रहो ये जिन्दगी बेकार ना ग़ज़ल
ऐ कन्हैया याद है कुछ भी हमारी ग़ज़ल
हमको याँ दर-दर फिराया यार ने ग़ज़ल
अगर शौक़ है मिलने का मंसूर अली गजल
तेरी शान तेरे ज़लाल को गजल
जब से तूने मुझे दीवाना बना ग़ज़ल
कहाँ मेरे ऐ दिल लिए रामतीर्थ ग़ज़ल
तुम एक गोरखधंधा हो...