🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
तात मिले पुनि मात मिले सुत-भ्रात मिले युवती सुखदायी।
राज मिले गजबाज मिले सबसाज मिले मनवांछित पायी॥
इहलोक मिले विधिलोक मिले सुरलोक मिले वैकुंठा जाई।
सुन्दर साज सबही मिले पर संत समागम दुर्लभ भाई॥
सद्गुरु सन्त समाज की बार बार स्तुति करूँ।
परख बोथ टकसार ले विवेक भव से तिरूँ॥
सद्गुरु सन्त समाज की महिमा बड़ी संसार में।
जाकर समझना चाहिए सद्गुरु के दरबार में॥
सारशब्द अतर्क निजपद ज्ञानबोधस्वरूप है।
कर नीरक्षीर विवेक निर्णय बने श्रोता सूप है॥
बार बार बर मागउँ, हरषि देहु श्री रंग।
पदसरोज अनपायनी भगति सदा सत्संग॥
Bin Satsang Kumati Na Chhooti
बिन सत्संग ! कुमति न छूटी।
चाहे जाओ मथुरा काशी,
हृदय की मोह ग्रन्थि न टूटी॥
चाहे पढ़ो गीता चाहे पढ़ो पोथी।
हिय कपाट की चारों ही फूटी॥
चाहे पूजो देवता चाहे पूजो देवी।
ये ठगनी सब देश को लूटी॥
कहे कबीर सुनो भाई साधो।
पीले ना सत ज्ञान की बूटी॥
🎙️शिवप्रसाद गुरुजी Shivprasad Guruji