🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Ram Darbar Hai Jag Sara
राम दरबार है जग सारा
राम ही तीनों लोक के राजा
सबके प्रतिपाला सबके आधारा
राम दरबार है जग सारा
तुम ब्रह्म तुम-सा कौन है
तुम विष्णु बनके व्याप्त हो
कल्याणकारी हे प्रभु
ध्यान से शिव प्राप्त हो
सर्वज्ञ हो सर्वत्र हो
सर्वोच्च हो संप्राप्त हो
क्या वेद गाये स्तुति तुम्हारी
तुम स्वयं वेदान्त हो
चारों वेद यही वर मांगा,
नाथ रहे हम पर अनुरागा।
राम का भेद न पाया वेद,
निगमहुँ नेति नेति उचारा॥
जय राम रमा रमनं समनम्
भवताप भयाकुल पाहि जनम्
अवधेस सुरेश रमेश विभो
शरणागत माँगत पाहि प्रभो
गुण शील कृपा परमायतनम्
प्रणमामि निरंतर श्री रमनम्
रमापति राम उमापति शंभो
एक दूजे का नाम उर धारा
तीन लोक में राम का सज़ा हुआ दरबार
जो जहाँ सुमिरे वहीं दरस दें उसे राम उदार
जय जय राम सियाराम..................
तिहुँ लोक में तिहुँ काल में
बस राम का राजत्व है।
वह चर अचर जड़ हो कि
चेतन राममय हर तत्त्व है।
अनुभूतियाँ है मानवीय स्वभाव में देवत्व है।
सगुण निर्गुण में राम में जीवत्व है ब्रह्मत्व है॥
राम में सर्व राम में सब माही।
रूप विराट राम सम नाहीं।
जितने भी ब्रह्मांड रचे हैं।
सब विराट प्रभु में ही बसें हैं।
रूप विराट धरे तो
चौदह भुवन में नाहीं आते हैं।
सिमटे तो हनुमान हृदय में
सीता सहित समाते हैं।
पतित उधारन दीन बन्धु
पतितो को पार लगातें हैं।
बेर बेर शबरी के हाथों
बेर प्रेम से खाते हैं।
जोग जतनकर जोगी जिनको
जन्म-जन्म नहीं पाते हैं।
भक्ति के बस में होकर के वे
बालक भी बन जाते हैं
योगी के चिन्तन में राम,
मानव के मन्थन में राम,
तन में राम मन में राम,
सृष्टि के कण कण में राम,
आती जाती श्वा स में राम,
अनुभव में आभास में राम,
नहीं तर्क के पास में राम,
बसतें हैं विश्वास में राम,
राम तो हैं आनन्द के सागर।
भर लो जिसकी जितनी गागर।
कीजो क्षमा दोष त्रुटि स्वामी।
राम नमामि नमामि नमामि॥
अनंतानंत अभेदाभेद अगम्यागम्य पार को पारा
राम दरबार है जग सारा............
हरि अनन्त हरिकथा अनन्ता।
कहहि सुनहि बहुविधि सन्ता॥
नाना भाँति राम अवतारा।
रामायण शत कोटि अपारा॥
🚩जय श्री गुरु महाराज जी की 🙏🏻🥀
🎙️रविन्द्र जैन Ravindra Jain