पण्डित राम मिलै सो कीजै दादू
तू साँचा साहेब मेरा दादू
तू कछु और बिचारत है नर सुन्दरदास
गुरु बिन ज्ञान नहीं सुन्दरदास
कोई पीवे राम रस प्यासा रे सुन्दर
तू ही मेरे रसना तू ही मेरे बैना दादू
गुरु दादू मंगल करे, मंगल करे गणेश।
राम रस पीवे सन्त सुजान।
हमारे गुरु दीनी एक जरी सुंदरदास
उन सन्तन की सेवा कर मन सुन्दरदास
नूर नूर नूर अव्वल आखिर नूर।
आओ राम दया कर मेरे।
जो रे भाई राम दया नहिं करते।
इहि विधि आरती राम की कीजै
नाहीं रे हम नाहीं रे, सत्यराम सब मांही...
है दाना है दाना दिलदार मेरे कान्हा।
रे मन गोविंद गाइ रे गाइ...
मेरे मन भैया राम कहो रे
मन रे सेव निरंजन राई...
तन भी तेरा मन भी तेरा...
तू ही तू आधार हमारे, सेवक सुत हम...
विरहनि को शृंगार न भावे
अहो नर नीका है हरि नाम।
पूजूँ पहली गणपति राइ
सत्यराम दादूराम सत्यराम दादूराम
राम कृपा कर होहुँ दयाला।
इहि विधि आरती राम की कीजै
जियरा राम भजन कर लीजै।
गोविन्द! कबहुँ मिलै पीहू मेरा॥
भाई रे घर ही में घर पाया।
अजहुँ न निकसे प्राण कठोर।
माया संसार की सब झूठी।
दादू मोहि भरोसा मोटा।