मन रे परसि हरि के चरण मीरा
तोही मोही मोही तोही अंतर रविदास
गोविन्द कबहुँ मिलै पिया मेरा
हरि तुम हरौ जन की पीर।
म्हारी सुरता सुहागन नार
म्हारा जन्म मरण रा साथी मीरा
ऐसी लाल तुझ बिन कौन करै रविदास
रामजी धणी जाके काहे की रविदास
मोहे लागी लगन गुरु चरणन मीरा
सहेली हमने भाग्य रे मळो (मिले)
साँसों की माला पे सिमरूँ मैं पी का नाम
म्हारा जूना जोशी
माई मैं तो! साँवरे के रंग राँची
श्याम म्हारे बैद बन आवजो।
नाम तेरो आरती मजन मुरारे।
जाओ निर्मोहिया जाणी थारी प्रीत।
माटी को पुतरा कैसे नचत है।
लगी मोहे राम खुमारी हो॥
मैं तो गुण गोविन्द रा गास्याँ म्हारी माई!
तुम सुनो दयाल म्हारी अर्जी॥
म्हारे घर आओ, प्रीतम प्यारा ||
मैंने लीनो गोविन्दो मोल माई री!
गुरु कृपांजन पायो मेरे भाई
ऐ री मैं तो प्रेम दिवानी मेरो दर्द न जाने कोय।
अरजी सुनो जी गिरधारी सांवरिया म्हारी
राणाजी थाको राखो गढ़ चित्तौड़
राणे वर रा कई परणीजूं
सांवरा थे आया रहिज्यो मीरा बाई रे देस।
मेवाड़ी राणा, भजनां से लागे मीरा मीठी
थाने काई काई कह समझावा
हरि नाम बिना नर ऐसा है।
आली रे मेरे नैणा बाण पड़ी॥
मैं तो गिरिधर के घर जाऊँ।
ऐसे प्रभु पिये जान न दीजे हो॥
नहिं भावै थारो देसड़लो जी रंग रुड़ो महाराज।
कोई कहियो रे प्रभु आवन की
हरि मेरे जीवन प्राण अधार।
स्याम ! म्हाने चाकर राखो जी।
नातो नाम को जी म्हांसूं तनक न तोड्यो जाय
अरी मेरे पार निकस गया, सद्गुरु मारया तीर
आज के दिवस की जाऊँ मैं बलिहारा।
प्रभुजी तुम संगति सरन तिहारी। जगजीवन राम मुरारी॥