प्रभु हम पे कृपा करना
मैली चादर ओढ़ के कैसे
सवेरे उठ तोहे जाँचूँ रे जगदीश आरती
नमामि तुमको सद्गुरु बारम्बार कल्याण भारती
मन मैला और तन को धोए
ओम जय जगदीश हरे आरती
देखो चिलम करे चतुराई गांजा पीले मेरे भाई
अब मैं अपना ढोल बजाऊँ।
ज्ञान गांजे की चिलम पीयेगा
सद्गुरु तुम साहिब दरसायो सेन भगत
हमारे गुरु पूरण दातार सहजो
राम तजूँ पर गुरु न बिसारूँ सहजो
किसी के काम जो आए उसे इंसान कहते है।
अब सौप दिया इस जीवन का
लावनी सुन बारहमासी गुप्तानंद जी
सद्गुरु देव दया करके
उठ जाग मुसाफिर भोर भई
मैं वारी जाऊँ रे, बलिहारी जाऊँ रे.........
सबसे ऊँची प्रेम सगाई सूरदास
राम सुमर ले रे प्राणियां
रे मन मुसाफिर निकलना पड़ेगा
अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे।
हमारा सद्गुरु बिरले जानै।
ओ पालनहारे, निर्गुण और न्यारे
कोई आये कोई जाये
क्या सोच करे lपागल मनवा
इश्क़ की दीवानगी कर गई कितने मकान
अपने अन्दर ही ढूँढा तो खजाना मिल गया।
साक़िया ऐसी पिलाई तूने
ये माया तेरी बहुत कठिन है राम........
ऐ मालिक तेरे बन्दे हम
अब ना बानी तो फिर ना बनेगी।
मन ना रंगाए, रंगाए जोगी कपड़ा।
सभी संतान ईश्वर के समझकर क्यों सताते हो।
अब मेरी निगाहों में तो जँचता नहीं कोई।
अब हम अमर भये ना मरेंगे॥
आप हो जुगत मुक्ति के दाता।
मूरख, छोङ वृथा अभिमान॥
नाम जपन क्यों छोड़ दिया॥
गुरु बिन कौन बतावे बाट
नाम जपन क्यों छोड़ दिया॥
देख लिया संसार हमने देख लिया।
भक्त नामावली हित ध्रुव दास कृत पद
कोशिशें कोई लाखों भले ही करें।
गुण दोष से दृष्टि हटाकर, जग राम...
सब में कोई ना कोई दोष रहा।
प्रभु चाह में चाह मिलाने
मैं क्या बताऊँ तमन्ना-ए-ज़िन्दगी क्या है।
प्यार करो पर प्यार न माँगो
म्हारा साँवरिया गिरधारी, थे म्हारा और म्हे थारी।