🕉️👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Ek kshan me yogi Rajeshwaranandji
एक क्षण में योगी, एक क्षण में भोगी,
पलभर में ज्ञानी पल में वियोगी।
बदलता जो क्षण-क्षण में वृत्ति अपनी,
कभी अपने मन के भरोसे न रहना॥
तन है कीमती मगर है विनाशी,
कभी अगले क्षण के भरोसे न रहना।
निकल जायेगी छोड़ काया को पल में,
सदा श्वास धन के भरोसे न रहना॥
तुझको जो मेरा मेरा कहेगें,
जरूरी नहीं वे भी तेरे रहेगें।
मतलब से मिलते है दुनियाँ के साथी,
सदा इस मिलन के भरोसे न रहना॥
हम सोचते काम दुनियाँ के कर लें,
धन-धाम अर्जित कर नाम कर ले।
फिर एक दिन बनकर साधु रहेगें,
उस एक दिन के भरोसे न रहना॥
राजेश अर्जित गुरु ज्ञान कर लो,
या प्रेम से राम गुणगान कर लो।
अथवा श्री राम नाम भजो नियम से,
किसी अन्य गुण के भरोसे न रहना॥