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Sadho Avigat Lakhyo Na Jayi
बनानाथ भजन Bananath Lyrics
साधो अविगत लख्यो न जाई।
जे लखसी कोई संत सूरमा,
नूर में तूर समाई॥
जैसे चंद उदक मांई दरसे,
यूं साहिब सब मांई।
दे चश्मा घर भीतर देख्या,
नूर निरन्तर वांई॥
दूर ते दूर उरे ते उरेरा,
हर हृदया रे मांई।
सपने नार गमायो बालक,
जाग पड़ी जब बाई
जागत जोत जगी घट भीतर,
जहाँ देखूँ जहाँ सांई।
उगत भान बीत गई रजनी,
हर हम अन्तर नांई॥
ममता मेट मिल्यों मोहन से,
गुरु से गुरुगम पाई।
कहे बनानाथ सुनो भाई साधो,
अब कुछ धोखा नांहि॥