जय गुरु देवा जय गुरुदेवा मनजीत
गुरुदेव जी की आरती पूर्ण सजायी
गुरुदेव स्वामी निसदिन सिमरूँ जी
सुमिरो सार स्वरूप सदैवं मनजीत
जागो मोह निशा से प्यारे मनजीत
गुरुसा म्हारा अवगुण दूर निवारो॥
भक्ति तो करना भगवत प्यारी जी।
सत्संगत कीज्यो नित सुखकारी जी।
अब मैं गुरु सैन घर पाया।
मन रे देख बुढ़ापो नेड़ो
भाग पूरबला सन्त पधारा
मैं राम भजन काज नाथ गुरु चरणन आयो जी
गुरु चरणन चित्त धारी स्वामी जी
गुरु दाता मेरा नित अवतारी है स्वामी जी
सन्तो सो है राम हमारा तुरसीदास निरंजनी