🕉️🎯श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂 

Sabme koi na koi dosh raha 

सब में कोई ना कोई दोष रहा।

एक विधाता बस निर्दोष रहा॥

सब में कोई ना कोई दोष रहा।

एक विधाता बस निर्दोष रहा॥


वेद शास्त्र का  महापण्डित ज्ञानी,

रावण  था  पर  था  अभिमानी।

शिव का भक्त भी सिया चुराकर,

कर बैठा ऐसी नादानी............

राम से हरदम रोष रहा...........


युधिष्ठिर    धर्म  पुत्र    बलकारी,

उसमें ऐब जुए का भारी..........

भरी  सभा  में  द्रोपदी  की  भी,

चीखें सुनकर धर्म पुजारी........

बेबस और खामोश रहा..........


विश्वामित्र  ने  तब  की  कमाई,

मेनका  अप्सरा  पर  थी लुटाई,

दुर्वासा  थे  महा  ऋषि  पर...

उनमें  भी  थी  एक  बुराई......

हरदम  क्रोध  व  जोश  रहा....


सारा   जग   ही   मृगतृष्णा  है,

कौन  यहाँ   पर  दोष  बिना है,

नत्था  सिंह   में   दोष  हजारों,

जिसने  सब  का  दोष गिना है,

फिर  यह   कहाँ  निर्दोष  रहा॥