🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂 

गुरु को मानुष जानते, ते नर कहिए अन्ध।

होय दुःखी संसार में, आगे जम का फन्द॥


गुरु नारायण रूप है, गुरु  ज्ञान  को  घाट।

सद्गुरु वचन प्रताप से, मन के मिटे उचाट॥


गुरु   बिन   कौन   बतावे  बाट, 

बड़ा    विकट     यम     घाट॥ 


भ्रांति की पहाड़ी नदियाँ बीच में, 

अहंकार की लाट।

काम   क्रोध   दो  परबत  ठाढे,

लोभ चोर संघात॥


मद मत्सर  का  मेघा  बरसत,

माया पवन बहकात।

कहत कबीर सुनो भाई साधो,

क्यों तरना यह घाट॥