🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Saqiya aisi pilayi tune madhoshi Sufi Qalam
न खबर दुनिया न दीन का गम है।
एक अजब बेखुदी है, एक अजब आलम है॥
साक़िया (ज्ञान रूपी शराब पिलाने वाले) ऐसी पिलाई तूने
होश बाकी नहीं बस एक आलम ए मदहोशी है।
ना ये शराब-ए-अंगूर न मयखाने की है,
ये तो तेरे निग़ाहों के पैमाने की है।
जिसको पीकर जमींनों जमाना भूल बैठे,
ना जमीं है ना आसमां है ना कोई दो जहां है॥
साक़िया (ज्ञान रूपी शराब पिलाने वाले) ऐसी पिलाई तूने
होश बाकी नहीं बस एक आलम ए मदहोशी है।
अक्ल कहती थी ये कर, वो न कर, ये बुरा, वो भला,
इश्क़ के इक कतरे ने सब फ़लसफ़े (तर्क) जला दिये,
कौन काफिर है, कौन है मोमिन, अब खबर ही नहीं,
जब से देखा है हर ज़र्रे में जलवा तेरा,
हर तरफ बस तू ही तू है॥
साक़िया (ज्ञान रूपी शराब पिलाने वाले) ऐसी पिलाई तूने
होश बाकी नहीं बस एक आलम ए मदहोशी है।
परवाने को शमा में जलने से जो लुत्फ़ है,
होश वालों को वो राज क्या पता।
उनकी मंजिल है काबा, उनकी मंजिल है मन्दिर,
अपनी मंजिल तो साक़ी (सद्गुरु) का आशिकाना है॥
साक़िया (ज्ञान रूपी शराब पिलाने वाले) ऐसी पिलाई तूने
होश बाकी नहीं बस एक आलम ए मदहोशी है।
सज़दे अब मयक़दे में ही होते हैं अपने तो
अब तस्बीह (माला) की जरूरत क्या जब सांस सांस जिक्र तेरा
ना दोजख (नर्क) का कोई डर है ना जन्नत (स्वर्ग) की है हसरत,
जब से तेरी मोहब्बत की जन्नत में हूँ मैं नहीं हूँ बस तू ही तू है॥