🕉️🎯श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Kya soch kare pagal manva rajesh
क्या सोच करे पागल मनवा,
जो बीत गया सो बीत गया।
इस झूठे खेल में मूल्य ही क्या,
कोई हार गया कोई जीत गया॥
हम चाहे वही हो जरूरी नहीं,
आशाएँ कभी हुई पूरी कहीं।
रे सोच तनिक जीवन घट का,
श्वासा जल कितना बीत गया॥
प्रभु प्रेम पीयूष पिया जिसने,
परहित हित जन्म लिया जिसने।
जीवन है वही जो जन-जन के,
मृदु अधरों का बन गीत गया॥
जब सूर्य सा साथी मिलता है,
राजेश कमल तब खिलता है।
हर साँझ को कहता है पंकज,
हम कैसे खिले अब मीत गया॥