🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Sabse unchi prem sagai Soordas
सबसे ऊँची प्रेम सगाई।
दुर्योधन की मेवा त्यागी, साग विदुर घर पाई॥
जूठे फल सबरी के खाये बहुबिधि प्रेम लगाई॥
प्रेम के बस नृपसेवा कीनी आप बने हरि नाई॥
राजसूय यज्ञ युधिष्ठिर कीनो, तामैं जूठ उठाई॥
प्रेम के बस अर्जुनरथ हाँको भूल गए ठकुराई॥
ऐसी प्रीत बढ़ी वृंदावन, गोपिन नाच नचाई॥
सूर क्रूर इस लायक नाहीं कहँलग करौं बड़ाई॥
कन्हैय्या तुम्हें एक नज़र देखना है,
जिधर तुम छुपे हो उधर देखना है।
विदुर भीलनी के जो घर तुमने देखें,
तो हमें भी तुम्हारा घर देखना है।
अगर तुम हो दीनों की आहों के आशिक,
तो आहों का अपनी असर देखना है....
कहते है दृग बिन्दु बेसब्र होकर,
अरे तुम्हे अपने से तर-बतर देखना है.....