🕉️👌🏻🎯श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Apne andar hi dhundha to khazana mil gya
अपने अन्दर ही ढूँढा तो खजाना मिल गया।
मैं भटकता था जिसके लिए वो ठिकाना मिल गया॥
खुद की दहलीज से जो मैं गुजरा,
तो खुदा का ही दरवाजा ही आ निकला।
जिसको समझा था मैं वो तो परदा निकला॥
खुद की दहलीज से जो मैं गुजरा,
तो खुदा का ही दरवाजा ही आ निकला।
बुतखानों/मन्दिर में पुकारा, मस्जिदों में की सदा,
धूल छानी अर्श की, हर किताब को पढ़ा।
मुल्ला से पंडित से पूछा क्या है उसकी जुस्तजू,
सबने बतलायी राहें, पर न बतलाया तू है कहाँ।
हर राह पर चलकर देखा, हर एक मंजर देखा,
हर राह पर चलकर देखा तो हर-सू साया निकला
जिसको समझा था मैं वो तो परदा निकला
खुद की दहलीज से जो मैं गुजरा,
तो खुदा का ही दरवाजा ही आ निकला।
मैं बड़ा होशियार था मैं बड़ा ही दीनदार था
अपनी हस्ती के नशे में सिर पर जुनून सवार था।
फिर क़रम हो जब हो गया मेरे मुर्शिद कामिल का
एक नजर से भर दिया सागर मेरे इस दिल का
जब ला की ज़र्ब से टूटा ये मय का जाम टूटा
जब ला की ज़र्ब से टूटा तो अन्दर से मैखाना निकला
जिसको समझा था मैं वो तो परदा निकला
खुद की दहलीज से जो मैं गुजरा,
तो खुदा का ही दरवाजा ही आ निकला।
मन अरफ़ा नफ्सहू फकत अरफ़ा रबबहू
खुद को खोकर ही तुझे पाने का फन सीखा है
फना होकर ही बका पाने का मन सीखा है
ये जो मैं और तू की तकरीफ थी बस वो हम गुमान था
मैं जो डूबा अपने अन्दर तो तू ही बे परदा निकला।
जिसको समझा था मैं वो तो परदा निकला,
खुद की दहलीज से जो मैं गुजरा,
तो खुदा का ही दरवाजा ही आ निकला।
अपना ना काबा रहा बाकी, न वो काशी की लगन,
मेरा ये कल्ब (दिल) ही अब बन गया उसका वतन।
हर तरफ नूर है उसका हर तरफ उसका जल्वा,
मैं ही मैं था जो था परदा मैं मिटा तू ही तू था,
जिसे मैं गैर समझा वो तो अपना ही बेगाना निकला,
जिसको समझा था मैं वो तो परदा निकला,
खुद की दहलीज से जो मैं गुजरा,
तो खुदा का ही दरवाजा ही आ निकला।
बस वो ही है..... बस वो ही है....................