🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Dadu mohi bharosa mota Dadu Dayal 190
दादू मोहि भरोसा मोटा।
तारण तरण सोई संग मेरे, कहाँ करै कलि खोटा॥
दौं लागी दरिया तैंतें न्यारी, दरिया मंझ न जाई।
मच्छ कच्छ रहें जल जेते, तिनको काल न खाई॥
जब सूवे पिंजर घर पाया, बाज रह्या बन मांहीं।
जिनका समर्थ राखनहारा तिनको को डर नांहीं॥
साँचै झूठ न पूजै कबहुँ, सत्य न लागे काई।
दादू साँचा सहज समाना, फिर वै झूठ विलाई॥
भगवद् भरोसा दिखा रहे हैं मुझको भगवान् का ही महान् भरोसा है, भक्तों को संसार से सारने वाले और स्वयं सब विकारों से तिरे हुये प्रभु मेरे साथ हैं। अतः खोटा कलियुग मेरा क्या कर सकता है? जैसे समुद्र वा नदी से बाहर वन में अग्नि लगी हो, वह समुद्र वा नदी में नहीं जाती और उनके जल में रहने वाले मत्स्य, कच्छपादि को वह अग्नि रूप काल नहीं मार सकता और जैसे शुक पक्षी को घर तथा पिंजरा प्राप्त हो जाता है, तब उसका शत्रु बाज पक्षी वन में ही रह जाता है, पर आकर पिंजरे में स्थित शुक पक्षी को नहीं मार सकता। वैसे ही जिन भक्तों का रक्षक समर्थ परमात्मा है, उनको कलियुग और कालादिका कुछ भी भय नहीं होता। सच्चे की समता झूठा कभी नहीं कर सकता। सत्य को किसी प्रकार का दोष नहीं लगता। सच्चा भक्त तो सहज स्वरूप परब्रह्म में समाता है और झूठा पुनः संसार में ही विलीन होता है।