🕉️श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Ram Kripa Kar Hohu Dayala
Dadu Dayal Vani 277 lyrics
दीनबन्धु दीनानाथ मेरी सुध लीजियो।
मैं हूँ तेरा दास अपनी शरण में लीजियो॥
राम कृपा कर होहुँ दयाला।
दर्शन देहुँ करहुँ प्रतिपाला॥
बालक दूध न देई माता।
तो वह क्यों कर जिवै विधाता॥
गुन औगुन हरि कुछ न विचारै।
अंतर हेत प्रीति कर पालै॥
अपनों जान करै प्रतिपाला।
नैन निकट उर धरै गोपाला॥
दादू कहै नहीं वश मेरा।
तू माता मैं बालक तेरा॥
हे राम ! कृपा करके मुझ पर दया करो और अपना दर्शन देकर मेरी रक्षा करो। जैसे माता शिशु को दूध न पिलावे तो वह कैसे जीवित रह सकता है? वैसे ही हे विधाता ! मैं आपके दर्शन बिना कैसे जीवित रह सकूँगा ? हे हरे ! माता शिशु के गुण अवगुण का कुछ भी विचार न करके हृदय में प्रेम रखते हुये प्रीति से उसका पालन करती है और हे गोपाल ! उसे अपना समझ छाती से लगाकर, अपने नेत्रों के समीप रखती है। वैसे ही आप मेरी माता हैं, मैं आपका बच्चा हूँ, आपके आगे मेरा क्या जोर चल सकता है? अतः आप कृपा करें।