🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Govind Kabhu Mile Pihu Mera Dadu Dayal
गोविन्द! कबहुँ मिलै पीहू मेरा॥
चरण-कमल को हँस-हँस देखूँ, राखूँ नैणा नेरा॥
निरखण को मोहे चाव घणेरो कब देखूँ मुख तेरा।
प्राण मिलन को भये उदासी, मिल तूं मीत सवेरा॥
व्याकुल तातें भई तन देही, शिर पे जम का हेरा।
दादू रे जन राम मिलन को, तपई तन बहुतेरा॥
मेरे प्रियतम गोविन्द ! आप मुझे कब मिलेंगे? किस प्रकार मैं आपके चरण-कमलों को देख कर उन्हें अपने नेत्रों के समीप रख सकूंगा ? मुझे आपका मुख देखने का बड़ा उत्साह है किन्तु पता नहीं कब देख सकूँगा? आप से मिलने के लिये मेरा मन दुःखी हो रहा है। मेरे सिर पर यम का हमला भी हो रहा है। इससे स्थूल शरीर में स्थित जीवात्मा व्याकुल हो रहा है। अरे! मुझ भक्त का तन राम से मिलने के लिये बहुत प्रकार से संतप्त रहता है। अतः हे मित्र ! शीघ्र ही मुझ से मिलो।