🕉️🎯👌🏻 श्री हरिपुरुषाय नमः 🌍🫂
Hamare Guru Deeni Ek Jari Sundardas
हमारे गुरु दीनी एक जरी।
कहा कहूं कुछ कहत न आवे॥
अमृत रसहि भरी॥
ताका मर्म सन्तजन जानत,
वस्तु अमोल खरी।
यातें मोहि पियारी लागत,
लेकर शीश धरी॥
मन भुजंग अरु पंच नागनी,
सूंघत तुरत मरी ।
डायनि एक खात सब जग को,
सो भी देख डरी॥
त्रिविधि विकार ताप तन भागी,
दुर्मति सकल हरी।
ताका गुण सुन मीच पलाई,
और कवन बपुरी॥
निश बासर नहि ताहि विसारत,
पल छिन आध घरी।
सुन्दरदास भया घट निर्विष,
सब ही व्याधि टरी॥