🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂 

Noor noor avval aakhir noor Dadu Dayal 237

नूर नूर नूर¹ अव्वल² आखिर³ नूर। 

दायम⁴ कायम⁵ कायम दायम, हाजिर है भरपूर॥


स्वस्वरूप¹ ब्रह्म सृष्टि के प्रथम² मध्य और अन्त³ में सदा⁴ स्थिर⁵ है तथा वह स्थिर ब्रह्म सदा सबके पास और विश्व में परिपूर्ण है।


आसमान नूर  जमीं नूर, पाक परवरदिगार¹।

आब²   नूर, बाद³   नूर, खूब   खूबां   यार॥


वही आकाशरूप, पृथ्वीरूप, पवित्र और पालन करने वाला¹ है। वही जलरूप², वायु³ और श्रेष्ठों से भी श्रेष्ठ तथा सब का मित्र है।


जाहिर¹ बातिन² हाजिर नाजिर³ दाना⁴ तू दीवान⁵। 

अजब   अजाइब⁶   नूर  दीदम⁷, दादू  है  हैरान॥


अन्तःकरण² में स्थिर रहकर देखने वाले³ और जानने वाले⁴ के रूप में प्रकाशित¹ होता है। प्रभो ! आप ही बुद्धिमान् मंत्री⁵ के समान सब को प्रेरणारूप परामर्श देते हैं, आप की रचित वस्तुयें आश्चर्यकारक⁶ हैं। आपका अद्भुत रूप देखकर⁷ हम चकित हैं।