🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂 

Maya sansar ki sab jhoothi Dadu Dayal 266

माया  संसार  की  सब  झूठी।

मात पिता  सब  ऊभे  भाई, तिनहिं देखतां लूटी॥


जबलग जीव काया में थारे खिन बैठी खिन ऊठी। 

हंस जु था सो  खेल  गया रे, तब तैं संगति छूटी॥


ऐ दिन पूगे आयु घटानी, तब निश्चिन्त होइ सूती। 

दादू दास  कहै  ऐसी काया, जैसे गगरिया फूटी॥


संसार की सभी माया मिथ्या है, वैसे ही काया भी मिथ्या है। माता, पिता, भाई आदि सभी सम्बन्धियों के खड़े रहते भी उनके देखते-देखते ही लुट जाती है। जब तक काया में जीव था, तब तक तो यह किसी क्षण में बैठती थी और किसी क्षण में उठती थी, किन्तु इसमें जो जीव-हंस था, वह जब से गमन रूप खेल खेल गया, तब से लोगों ने इसका संग छोड़ दिया। अब ये जीवन के दिन पूरे हो गये और आयु समाप्त हो गई, इससे यह काया निश्चिन्त होकर सूती पड़ी है। हम तो अनुभव करके कहते हैं कि जैसे फूटी गागर बेकार होती है, वैसे ही यह काया जीवात्मा के गमन से बेकार हो जाती है।