🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂 

Ihi vidhi aarti ram ki keeje Dadudayal 440

इहि विधि आरती राम की कीजै, 

आत्मा   अंतर   वारणा   लीजै॥ 


तन  मन  चन्दन, प्रेम की माला, 

अनहद  घण्टा   दीन   दयाला॥


ज्ञान का दीपक पवन की बाती, 

देव   निरञ्जन   पाँचों   पाती॥


आनन्द मंगल  भाव  की सेवा, 

मनसा  मन्दिर   आतम  देवा॥


भक्ति  निरन्तर   मैं  बलिहारी, 

दादू  न  जानै   सेव  तुम्हारी॥


निरंजन राम की आरती की पद्धति बताते हुए आरती कर रहे हैं- निरंजन राम की आरती इस प्रकार करनी चाहिए और अन्तःकरण के भीतर ही उन पर न्योछावर होना चाहिए। तन और मन को चन्दन बनाओ, प्रेममय पुष्पमाला पहनाओ और उन दीनदयाल के आगे अनाहत नाद रूप घंटा बजाओ, ज्ञान-दीपक जलाओ। पंच-प्राण रूप वायु की पाँच बत्ती बनाओ, उन निरंजन देव पर पंच, ज्ञानेन्द्रिय रूप तुलसी-पत्र चढ़ाओ। इस प्रकार आनंद रूप मंगला आरती करो। भाव मय सेवा करो। उन आत्म-स्वरूप निरंजन देव का मंदिर बुद्धि ही है। हे प्रभो ! किस प्रकार की सेवा आपको प्रिय है, यह आप ही जानते हैं, मैं नहीं जानता, किन्तु मैं मति-मंदिर में निरंतर आपकी भक्ति करते हुए आप पर न्योछावर होता हूँ।