🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Virhani ko shrigar na bhave dadu
विरहनि को शृंगार न भावे।
है कोई ऐसा राम मिलावै॥
विसरे अंजन मंजन चीरा।
विरह व्यथा यहुँ व्यापे पीरा॥
नव-सत थाके सकल श्रृंगारा।
है कोई पीड़ मिटावणहारा॥
देह गेह नहिं सुधि शरीरा।
निसदिन चितवत चातक नीरा॥
दादू ताहि न भावे आन।
राम बिना भई मृतक समान॥