🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Mati Ko Putra Kaise Nachat Hai Ravidas
माटी को पुतरा कैसे नचत है।
देखै देखै सुनै बोलै दोड्यौ फिरत है॥
मनुष्य मिट्टी का पुतला है। यह माया (अज्ञान) के वशीभूत हो इधर−उधर नाचता फिरता है। यह मोह-माया के प्रभाव में फँसकर देखता, सुनता, बोलता और दौड़ा-दौड़ा फिरता है।
जब कछु पावै तब गरब करत है।
माया गयी तब रोवन लगत है॥
जब मनुष्य कुछ प्राप्त कर लेता है तब यह अभिमान करते लगता है और माया के चले जाने पर यह आँसू बहाता है।
मन बच कर्म रस कसहि लुभाना।
बिनस गया जाय कहुँ समाना॥
मन, वचन और कर्म से यह विषयादि रसों में डूबा रहता है, किंतु जब यह नष्ट हो जाता है तो पता नहीं कहाँ समा जाता है।
कहत रविदास बाजी जग भाई।
बाजीगर सो मोहे प्रीत बन आई॥
संत रैदास कहते हैं कि संसार एक तमाशा (बाजी) है और जो बाज़ीगर इस तमाशे को दिखाने वाला है, उसी ईश्वररूपी बाज़ीगर से मेरी प्रीति हो गई है।
🎙️हरजिंदर सिंह Harjinder Singh
🎙️मेहताब सिंह Mehtab Singh