🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Tohi Mohi Mohi Tohi Antar Kaisa
Ravidas Bhajan Gurbaani गुरबानी
तोही मोही मोही तोही अंतर कैसा।
कनक - कटक जल तरङ्ग जैसा॥
तुममें और मुझमें या मुझमें और तुममें क्या अन्तर (different) है ! जैसा सोने और सोने से बने आभूषण में, जल और जल में उठे बुदबुदे में, सागर और सागर में उत्पन्न लहरों में है अर्थात् मैं आप ही से उत्पन्न हुआ हुँ और पुनः आप ही में लीन हो जाऊंगा फिर मैं आपसे अपने को भिन्न कैसे कहूँ !
जो हम ना पाप करंता अहे अनंता।
पतित पावन नामु कैसे हुंता॥
यदि हम कोई पाप नहीं करते तो फिर हे अनन्त स्वरूप भगवन् ! आपका नाम पतित-पावन (पापियों का उद्धारक) कैसे होता ।
तुम्ह जो नायक आछो अन्तरजामी।
प्रभु ते जन जानी जै जन ते स्वामी॥
तुम ही मेरे नायक (अधिपति) और अन्तर्यामी अर्थात् अन्त:करण के नियन्ता हो । प्रभु ! एक बात विचार लीजिए.. नौकर अपने मालिक से जाना जाता है और मालिक अपने नौकर से जाना जाता है ।
सरीर आराधै मोको विचार देऊँ।
'रविदास' सम दल समझावे कोऊ॥
मुझे अपने शरीर से आपकी पूजा करने और आपकी आराधना करने का विचार अर्थात् सद्बुद्धि प्रदान करें । रविदास जी कहते हैं, जो यह समझता है कि प्रभु सबमें समान है, वह जगत् में कोई बिरला ही होता है ।
रविदास भजन सबद
🚩श्री निरंजनी अद्वैत आश्रम भाँवती🙏🏻
🎙️ सतविंदर सिंह Satwinder Singh