🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Jao Nirmohiya Jani Thari Preet
Meera Bhajan Kishori Amonkar
जाओ निर्मोहिया जाणी थारी प्रीत।
जाणी रे जाणी थारी प्रीत॥
लगन लगी जब प्रीत और ही,
अब कुछ और ही रीत,
निर्मोहिया अब कुछ और ही रीत॥
अमृत प्या के विष क्यों दीजै,
कौन गाँव की रीत,
निर्मोहिया, कौन गाँव की रीत॥
मीरा के प्रभु हरि अविनाशी,
अपने गरज के मीत,
निर्मोहिया ! अपने गरज के मीत॥
🎙️किशोरी अमोनकर Kishori Amonkar