🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
आ पिया इन नैनन में, पलक ढाँप तोहे लूँ।
ना मैं देखूँ गैर को, ना मैं तोहे देखन दूँ॥
काजर डारूँ किरकरा, सुरमा दिया न जाय।
जिन नैनन में पिया बसे, दूजा कौन समाय॥
नील गगन से भी परे, सैया जी का गाम।
दरसन जल की कामना, पत रखियो हे राम!
अब क़िस्मत के हाथ है, इस बन्धन की लाज।
मैंने तो मन लिख दिया, साँवरिया के नाम॥
जाने कौनसे भेष में, साँवरिया मिल जाय।
झुक झुककर संसार में, सबको करूँ सलाम॥
वह चातर है कामिनी, वह है सुन्दर नार।
जिस पगली ने कर लिया साजन का मनराम॥
जबसे राधा श्याम के, नैन हुए हैं चार।
श्याम बने हैं राधिका, राधा बन गयी श्याम॥
Saanso Ki Maala Pe Simru Meera Pad
साँसों की माला पे सिमरूँ मैं पी का नाम।
अपने मन की मैं जानूँ पी के मन की राम॥
यही मेरी बन्दगी है यही मेरी पूजा।
साँसो की माला पे, सिमरूँ मैं पी का नाम॥
इक का साजन मन्दिर में और।
इक का प्रीतम मस्जिद में, पर मैं॥
हम और नहीं कछु काम के।
मतवारे पी के नाम के॥
सजनी पाती तब लिखूँ, जो प्रीतम हो परदेस।
तन में मन में पिया बसे अब भेजूँ किसे संदेश॥
हर-हर में है हर बसे, इसमें उसमें तुझमें मुझमें
हर-हर में है हर बसे, हर-हर को हर की आस।
हर को हर-हर ढूँढ फिरी, और हर है मेरे पास॥
प्रेम के रंग में ऐसी डूबी बन गया एकही रूप।
प्रेम की माला जपतेजपते आप बनी मैं श्याम॥
प्रीतम का कुछ दोष नहीं है वह तो है निर्दोष।
अपने आपसे बातें करके, हो गयी मैं बदनाम॥
प्रेम प्याला जबसे पिया है जी का है यह हाल।
अंगारों पे नींद आ जाए, काँटो पे आराम॥
जीवन का सिंगार है प्रीतम मांग का है सिंदूर।
प्रीतम की नजरों से गिरके जीना किस काम॥
पपीहे ओ पपीहे तू ये क्यूँ आँसू बहाता हैं
जुबान पे तेरी पी पी किसलिए रह रह के आता हैं
सदा ए दर्द-ओ-ग़म, क्यूँ दर्द बन्दों को सुनाता हैं
जो खुदही जल रहा हो क्यूँ उसकोऔर जलाता हैं
काटू तोरी चोंच पपीहरा, अरे डालूँ वा पे लौन!
अरे मैं पी की और पी है मोरे, तू पी का है कौन!!
🚩श्री अद्वैत सेवा संस्थान भाँवती🙏🏻
🎙️नुसरत फतेह अली Nusrat Fateh Ali
🎙️राहत फतेह अली Rahat Fateh Ali