🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Sab Zaat Sifaat Se Ho Nirmal
सब ज़ात सिफ़ात से हो निर्मल,
जब साधू सुन्न में ध्यान धरे।
सिमर सिमर सिमरन से परे
नारायण हरे नारायण हरे॥
`ज़ात सिफ़ात- स्वरूप/स्वभाव/गुण`
भीख भीख मैं करती रही कोई न डाली भीख।
मुर्शिद माली मिल गया, जो मोहे डाली भीख॥
सभी काल का संसा चूक गया,
मोहे रैन पड़ी हरि के द्वारे।
कभी सोते रहे कभी जाग पड़े,
नारायण हरे नारायण हरे॥
कुछ गुरु कृपा का अन्त नहीं,
सभी शगुन मुहूर्त पूरे हुए।
जब गुरु माली के शरण पड़े,
नारायण हरे नारायण हरे॥
उससे पहले नजर में कुछ न था अपने सिवा।
अब जिधर भी देखते हैं जल्वा नज़र आता है॥
जब तक बिके न थे कोई पूछता तक न था।
उसने खरीदकर आपने अनमोल कर दिया॥
उठा भरम दुई का हुई एकता,
मोहे साँवरे प्रीत की रीत भई।
वाँ जप और जापा दोनों मरे,
नारायण हरे नारायण हरे॥
🚩निरंजनी अद्वैत आश्रम, भाँवती🙏🏻
🎙️ वाज़िद अली Wazid Ali