🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Ham Kookar Tere Darbaar Gurbaani
कबीर भजन Kabeer Bhajan गुरबानी
हम कूकर तेरे दरबार।
भौंकहि आगै बदन पसार॥
हे प्रभु ! मैं तो तुम्हारे दरबार का कुत्ता हूँ और बदन फैलाकर आपके सामने भौंकता हूँ।
सन्ता मानउ दूता डानउ
इह कुटवारी मेरी।
दिवस रैन तेरे पाँव पलोसउ
केश चँवर करि फेरी॥
सन्तों को सम्मान और दुष्टों को दण्ड देना, यही सिपाही के रूप मेरी नौकरी है। दिन-रात आपके चरणों में लोट-पोट होना और अपने बालों का चँवर बनाकर फेरता हूँ।
पूरब जनम हम तुम्हरे सेवक
अब तो मिटिया न जाई।
तेरे द्वारै धुनि सहज की
माथै मेरे दगाई ॥
पिछले जन्मों में मैं आपका सेवक था; अब, मैं तुम्हें नहीं छोड़ सकता। आपकी शब्द रूपी ध्वनि मेरे मस्तिष्क में गूंजती है। मेरे माथे पर यह तेरी निशानी है।
दागे होए सु रन महि जूझै
बिनु दागे भगि जाई।
साधू होइ सु भगति पछानै
हरि लए खजानै पाई॥
जिन पर आपके नाम का ठप्पा होता है वे युद्ध में बहादुरी से लड़ते हैं; आपके ठप्पे के बिना भाग जाते हैं। साधू होकर जो भक्ति की महिमा जान लेते हैं, उसे हरि अपने खजाने में रख लेते हैं।
कोठरे महँ कोठरी
परम कोठी बिचार।
गुर दीनि बसतु कबीर को
लेवहु बसतु सम्हार॥
शरीर रूपी किले में हृदय रूपी कक्ष है; उसमें ध्यान, चिंतन, विचार रूपी परम कोठरी है। गुरु ने कबीर को यह वस्तु देकर आशीर्वाद दिया है, "इस वस्तु को लो, इसे संजोओ और संभालकर रखो"।
कबीर दीई संसार कोई लीनी
जिसके मस्तक भाग।
अमृत रस जिनि पाइआ
थिर ताका सोहाग॥
कबीर कहते हैं सद्गरु संसार में सबको देते हैं पर कोई बिरला भाग्यशाली ही इसे प्राप्त करते हैं। जो इस अमृत तत्त्व को प्राप्त करता है, उसी का सुहाग स्थायी है।
🚩श्री निरंजनी अद्वैत आश्रम भाँवती🙏🏻
🎙️ सतविंदर सिंह Satwinder Singh
🎙️ हरजिंदर सिंह Harjinder Singh