🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
He Prem Jagat Me Sar Bindu Lyrics
है प्रेम जगत में सार और कोई सार नहीं।
कर ले प्रभु से प्यार और कोई प्यार नहीं॥
कहा घनश्याम ने उधो से वृन्दावन जरा जाना,
वहाँ की गोपियों को ज्ञान का तत्त्व समझाना।
विरह की वेदना में वे सदा बेचैन रहती हैं,
तड़पके आह भरके और रो रोकर ये कहती हैं।
कहा उधो ने हँसकर मैं अभी जाता हूँ वृन्दावन,
ज़रा देखूँ कि कैसा है कठिन अनुराग का बंधन।
है कैसी गोपियाँ जो ज्ञानबल को कम बताती हैं,
निरर्थक लोक लीला का यही गुणगान गाती हैं।
चले मथुरा से कुछ दूर वृन्दावन निकट आया,
वहीँ से प्रेम ने अपना अनोखा रंग दिखलाया।
उलझकर वस्त्र में कांटे लगे उधो को समझाने,
तुम्हारा ज्ञान परदा फाड़ देंगे प्रेम दीवाने।
विटप झुकके कहते थे इधर आओ इधर आओ
पपीहा कह रहा पी कहाँ यह भी तो बतलाओ।
नदी यमुना धारा शब्द हरि हरि का सुनाती थी,
भ्रमर गुँजार से भी ये मधुर आवाज़ आती थी।
गरज पहुँचे वहाँ गोपियों का जिस जगह मंडल,
वहाँ थी शान्त पृथ्वी वायु धीमी थी निर्मल।
सहस्त्रों गोपियों के मध्य में श्री राधिका रानी
सबके मुख से रह रहके निकलती यही वाणी
कहा उधों ने यह बढ़कर मैं मथुरा से आया हूँ,
सुनाता हूँ संदेसा श्याम का जो साथ लाया हूँ।
जब ये आत्मसत्ता ही अलख निर्गुण कहाती है,
फिर क्यों मोहवश होकर वृथा यह गान गाती है।
कहे श्री राधिका ने तुम सन्देसा खूब लाये हो,
मगर ये याद रखों प्रेम की नगरी में आये हो।
सँभालो योग की पूँजी न हाथों से निकल जाए,
कहीं विरहाग्नि में ये ज्ञान की पोथी न जल जाए
अगर निर्गुण हम तुम कौन कहता खबर किसकी,
अलख हम तुम तो किसको लखती नज़र किसकी
जो हो अद्वैत के कायल तो फिर क्यों द्वैत लेते हो
अरे खुद ब्रह्म होकर ब्रह्म को उपदेश देते हो
अभी तुम खुद न समझे किसको योग कहते हैं,
सुनो इस तौर योगी द्वैत में अद्वैत रहते हैं।
उधर मोहन बने राधा, वियोगिन की जुदाई में
इधर राधा बनी है श्याम, मोहन की जुदाई में
सुना जब प्रेम का अद्वैत उधो की खुली आँखें,
पड़ी थी ज्ञानमद की धूल जिनमें वो धुली आँखें
हुआ रोमांच तन में बिंदु आँखों से निकल आया
गिरे श्रीराधिका पग पर कहा गुरुमंत्र यह पाया॥
🎙️शिवम गोयल Shivam Goyal