🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
He Gurudev Aapko Kya Du Kamal
हे गुरुदेव आपको क्या दूँ,
वस्तु में उपहार में।
मग्न हुई हूँ भगवन मैं तो,
आपके उपकार में॥
जो उपकार किया गुरु मुझ पे,
तनिक नहीं बिसराऊँ जी।
अपने तन की मृगछाला कर,
चरणों मांहि बिछाऊँ जी।
बदला नहीं चुका सकती,
मैं लाखों ही अवतार में॥
तन मन प्राण पञ्च भूतो का,
तीनों ही गुण संगा जी।
धन जन धाम संसृत होवे,
जैसे बहती गंगा जी॥
पाँचों इन्द्रिय अन्तःकरण संग,
मेरा क्या संसार में॥
विकृति मैं को दूर हटाकर,
आत्म की मैं दीनी जी।
अस्ति भाति प्रिय सिन्धु मांही,
सच्ची निष्ठा कीनी जी॥
दीन हीनता हर ली सारी,
पूरणता की शान में॥
दूर किया अज्ञान अंधेरा,
हृदय चिराग जला करके।
सभी दुखों का अन्त हो गया,
संग आपका पाकर के।
द्वैत भाव तज कमलेश्वर,
अब मग्न है अपने आप में॥