🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Sadho Sabad Sadhna Keeje Kabeer
सबद सबद बहु अंतरा, सार सबद चित देय।
जा सबदै साहब मिलै, सोइ सबद गहि लेय॥
शब्द दुरिया न दुरै, कहूँ जो ढोल बजाय।
जो जन होवै जौहरी, लेहैं सीस चढ़ाय॥
साधो सबद साधना कीजै।
जेही सबद ते प्रकट भए सब,
सोइ सबद गहि लीजै॥
सबद गुरु सबद सुन सिख भए,
सबद सो बिरला बूझै।
सोई सिष्य सोई गुुरु महातम,
जेही अन्तरगति सूझै॥
सबदै वेद पुरान कहत हैं,
सबदै सब ठहरावै।
सबदै सुर मुनि सन्त कहत हैं,
सब्द भेद नहिं पावै॥
सबदै सुन सुन भेष धरत हैं,
सबदै कहै अनुरागी।
षड्दरसन सब सबद कहत हैं,
सबद कहै वैरागी॥
सबदै काया जग उत्पानी,
सबदै केरि पसारा।
कहे कबीर जहँ सबद होत है,
भवन भेद है न्यारा॥
अरे मोरे सबद बिबेकी हंसा हो,
बैठो सबद की डार।
सब दै ओढ़ौ सबद बिछाओ,
सबदै भूख अहार।
निसदिन रहौ सबद के घर में,
सबदै गुरु हमार॥
लै हथियार सबद कै मारौ,
सबद खेत ठहराओ।
कबहुँ कुचाल जो होइ तुम्हारी,
सबद में भागि लुकाओ॥
आदि अनादि सबद है भाई,
सबदै मूल बिचारा।
जिनके चोट सबद की लागी,
आवागवन निवारा॥
सबदै मूल है सबकै साखा,
सबदै सबद समाना।
पलटू दास जो सबद बिबेकी,
सबद के हाथ बिकाना॥
सबदहिं ताला सबदहिं कूँची, सबदहिं सबद जगाया।
सबदहिं सबद सूँ परचा हुआ, सबदहिं सबद समाया॥
अजहुँ मन सबद प्रतीति न आई।
चंचल चपल चहूँ दिसि डौलै, जगत नाहिं चतुराई।
सबद तें सुक मुनि सारद नारद, गोरख की गरुआई॥
सबद प्रतीत कबीर नामदेव, जागत जक्त दोहाई।
सदन धना रैदास चतुरभुज, नानक मीराबाई॥
संत अनंत प्रतीति सबद की, प्रगट परम गति पाई।
धरनी जो जन सबद-सनेही, मोहिं बरनी नहिं जाई॥
🎙️संजय कुमार Sanjay Kumar