🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂 

Ram ram Ram jeev Jo Tulsidas 68

राम राम राम जीव जौ लोँ तू न जपिहै। 

तौलौं जह जइहै तहँ तिहूँ ताप तापि है॥


अरे जीव ! तू जव तक राम, राम, राम, नहीं जपेगा तब तक जहाँ जायगा वहाँ तीनों तापों से जलता रहेगा।


सुरसरि तीर बिनु  नीर  दुख  पाइहै,

सुरतरु  तरे  तोहि  दारिद  सताइहै।

जागत बागत  सपने न सुख सोइहै,

जनमि जनमि  जुग जुग जग रोइहै॥


गंगाजी के किनारे भी बिना जल के दुःख पाएगा, और कल्पवृक्ष के नीचे अभी दरिद्रता तुझे सतावेगी। जागते सोते हुए सपने में भी सुख नहीं मिलेगा, संसार में बार बार जन्म लेकर युग युग रोएगा।


छूटबे  के  जतन  बिसेषि  बाँधो  जायगो। 

होइहै विष भोजन जाँ सुधा सानि खायगो॥ 

तुलसी तिलोक तिहुँ काल तो से दीन को। 

राम-नाम ही की गति  जैसे जल मीन को॥


जितना छूटने का यत्न करेगा, राम नाम के बिना उतना ही अधिक बाँधा जायगा और अमृत मिला भोजन भी तेरे लिए विष के समान हो जायगा । हे तुलसी! तीनों लोक और तीनों काल में तेरे समान दीन कौन है? तुझे रामचन्द्रजी के नाम ही का सहारा है, जैसे मछली को जीवन धारण करने के लिये एक मात्र आधार केवल जल है।