🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂 

Moorakh chhod vritha abhiman Narayan 

मूरख  छोड़  वृथा  अभिमान॥

औसर  बीति  जात  है  तेरो, दो दिन को मेहमान॥


भूप अनेक  भये  पृथ्वी  पर, रूप  तेज  बलवान।

कौन बचियो काल ब्याल तें, मिट गये नामनिसान॥


धवल धाम धन, गज, रथ, सेना नारी चंद्र समान।

अन्त समै सबही कों तजि कै, जाय बसे श्मशान॥


तज सत्संग भ्रमत बिषयन में, जा बिधि मर्कट स्वान।

छिन भर बैठ न सुमिरन कीन्हों, जासों होय कल्यान॥


रे मन मूढ अनत जनि भटकै, मेरौ कह्यौ अब मान।

नारायन  ब्रजराज  कुँवर सों, बेगहि करि पहिचान॥