🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Man Re Gurugam Gangaramji
मन रे गुरुगम गंगा नहाले।
असंख्य जुगां का पाप कटत है,
सत्संगत नित चाह्लै॥
सद्गुरु आप इन्द्र होय आया,
अमृत बूंदा डालै।
पीवे जका परम सुख पावै,
आवागमन मिटालै॥
श्रवण मनन ज्ञान के साधन,
येही बेड़ा उठाले।
निदिध्यासन का निश्चय करके,
त्रिविध ताप बुझालै॥
होय असंग निशंक रु निरभै,
गुरुपद ध्यान लगालै।
सन्मुख आय खड़ा गुरु दाता,
मनभर दर्शन पालै॥
जसीराम जी समर्थ कहिये,
सब उपाधियाँ टाले।
गंगाराम चरणों का चेरा,
गुरु बचना में हालै॥