🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Man re guru se preet lagayi Achalram ji
मन रे गुरु से प्रीत लगाई।
रहो रजाबन्ध हुक्म में हाजिर,
जन्म मरण मिट जाई॥
यह भवसागर अति ही गहरा,
आर पार नहीं पाई।
ज्ञान जहाज गुरु लेत चढ़ाई,
सहजे पार हो जाई॥
अज्ञान बन कर्म काष्ठ तरु को,
पल में देत जलाई।
ज्ञान अग्नि अहं ब्रह्मास्मि,
पड़ते भस्म हो जाई॥
आत्म विचार देवे गुरु ऐसा,
ज्ञान' अग्नि प्रकटाई।
कर्म भ्रम अप जार छार कर,
आपो आप दरसाई॥
गुरु सुखराम समर्थ ऐसा,
जिनसे प्रीति लगाई।
अचलराम कहै समझ मन मेरा,
दिन दिन अधिक बड़ाई॥