🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍🫂
Man re guru bin koi na payi Achalram ji
मन रे गुरु बिन कोई न पाई।
स्वयं कर्म भ्रम नहीं भागे,
संशय रहे उर मांई॥
त्यागी होकर वन वन डोले,
चित्त चंचल नहीं थाई।
व्यास पुत्र शुकदेव कहीजे,
जनक मिला पत आई॥
विद्या पढ़ो बहु ग्रन्थ अनेकों,
मन को भ्रम न जाई।
श्वेतकेतु सब पढ़ कर आयो,
अविद्या मिटी नहीं तांई॥
अविद्या मिटन का एक उपाई,
गुरु भक्ति ठहराई।
दूजा साधन करो बहुतेरा,
जिन से काज न थाई॥
योग यज्ञ बहु किरिया करके,
पहुँचे नहीं आत्म मांई।
वो तो अगम अगोचर अक्रिय,
गुरुमुख सोई जन पाई॥
सद्गुरु स्वामी के सन्मुख रहो,
अनुभव खुले उर मांई।
अचलराम उपाय थक्या सब,
गुरु चरणों के मांई॥