🕉️🎯👌🏻श्री हरिपुरुषाय नमः🌍 🫂 

गोपाल गोकुल वल्लभे, प्रिय गोप गोसुत वल्लभं।

चरणारविन्दमहं भजे, भजनीय सुर मुनि दुर्लभम्॥

Mangal karni Kalimal harni Tulsidas lyrics 

मंगल करनि  कलिमल  हरनि, तुलसी कथा  रघुनाथ की।

गति कूर  कबिता सरित की, ज्यों सरित  पावन पाथ की॥


तुलसी दास जी कहते हैं कि श्री रघुनाथ जी की कथा सभी का कल्याण करने वाली और कलियुग के पापों को हरने वाली है। यह कुरुप कविता पतित-पावन गंगा नदी की धारा के समान टेड़ी-मेड़ी है।


प्रभु सुजस संगति भनिति भलि होइहि सुजन मनभावनी।

भव  अंग  भूति  मसान  की  सुमिरत  सुहावनि  पावनी॥


प्रभु श्रीरघुनाथ जी की सुंदर संगति से यह कविता सुंदर और सज्जनों के मन को भाने वाली हो जाती है, जिस प्रकार शमशान की अपवित्र राख भी श्रीमहादेव जी के अंग की संगति पाकर स्मरण करने मात्र से पवित्र करने वाली हो जाती है।


प्रिय लागिहि अति सबहि मम भनिति राम जस संग।

दारु बिचारु कि करइ कोउ बंदिअ मलय प्रसंग॥


श्री रामजी के यश के संग से मेरी कविता सभी को अत्यन्त प्रिय लगेगी। जैसे मलय पर्वत के संग से काष्ठमात्र (चंदन बनकर) वंदनीय हो जाता है, फिर क्या कोई काठ (की तुच्छता) का विचार करता है?


स्याम सुरभि पय बिसद अति गुनद करहिं सब पान।

गिरा ग्राम्य सिय राम जस गावहिं सुनहिं सुजान॥


श्यामा गो काली होने पर भी उसका दूध उज्ज्वल और बहुत गुणकारी होता है। यही समझकर सब लोग उसे पीते हैं। इसी तरह गँवारू भाषा में होने पर भी श्री सीतारामजी के यश को बुद्धिमान लोग बड़े चाव से गाते और सुनते हैं॥