🕉️🎯👌🏻 श्री हरिपुरुषाय नमः 🌍🫂

Main to hu bhagtan ko das Narsi bhakt

मैं तो हूँ भगतन को दास भगत मेरे मुकुट मणि॥ 


मोकूँ भजे भजूँ मैं उनको हूँ दासन को दास,

रे सेवा करे करुँ मैं सेवा, हो सच्चा विश्वास।

यही तो मेरे मन में ठणी॥


जूठा खाऊँ गले लगाऊँ, नहीं जाति को ध्यान,

आचार-विचार कछु न देखूँ देखूँ मैं प्रेमसम्मान।

यही तो मेरे मन में ठणी॥


पग चाँपू और सेज बिछाऊँ नौकर बनूँ हजाम,

हाकूँ बैल बनूँ गडवारो बिन तनख्वाह रथवान॥ 

और क्या कहुँ तो घणी॥


अपनो प्रण बिसार भक्त को, पूरो प्रण निभाऊँ,

साधु जाँचक बनूँ भगत को बेचे तो बिक जाऊँ।

भगत म्हारे सिर रा धणी॥


जो कोई भक्ति करे कपट से उसको भी अपनाऊँ,

साम, दाम  और  दण्ड  भेद सो, सीधे रस्ते लाऊँ।

नकल से असल बणी॥


गरुड़  छोड़  बैकुण्ठ  त्यागकर, नंगे  पाँवों  धाऊँ,

जहँ-जहँ भीड़ पड़े भक्तों में, तहँ-तहँ दौड़ा जाऊँ।

खबर नहीं करुँ अपणी॥


सबही  बनी  है  बनी है ज्यामें कर्ता मुझे ठहरावे,

नरसी हरि चरणन रो चेरो, चरणां मे सीस नवावे।

पतिव्रता एक धणी॥